अब EOW दूसरी चार्ज शीट नहीं दे सकता


सभी स्पिक एशियंस भाई और बहन को नमस्कार .

हम सब 7509/7510 से ये उमीद लगा बैठे थे की इस केस में सभी केस का status 31 अगस्त. को जमा होगा और यही से एक या दो डेट में सभी crimanal केस ख़तम होने के direction मिल जायेगा .लकिन कल कुछ और ही हो गया .ऐसा सबका अपना अपना सोचने समझने का नजरिया है की कौन कैसे सोचता और समझता है .कल कुछ अपने लिए सही भी हुआ है और कुछ गलत भी हमारे अनुसार. सही ये हुआ है की ऑल इंडिया बेस पे अगर सेम केस में कोई भी सरकारी. ऐजेनसी किसी भी कोर्ट में कोई चार्ज शीट जमा करा देती है तो उस टाइप के और केस जो भी पुरे देश में चल रहे होते है और उसे जो ऐजेनसी जाँच कर रही होती है उन्हें चार्ज शीट नहीं जमा करना पड़ेगा और इस प्रकार के सभी केस को एक साथ जोड़ के उस चार्ज शीट के आधार पे देखा जायेगा (AISPA के अपडेट के अनुसार). जो हमारे लिए सही है. अब EOW चार्ज शीट नहीं दे सकता दूसरी positive बात सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है की trial कोर्ट आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के कमेन्ट के तरफ अपना धयान नहीं दे. तीसरी positive बात की चार्ज शीट जमा हो जाने के बाद जाँच बंद .


गलत बात ये हुई है की पिछले दिनों जो ये कहा जा रहा था की सुप्रीम कोर्ट ने saol के वकील से माँगा है की आप के ऊपर इस प्रकार के जितने aligation लगाये गए है उस सबका डिटेल्स यहाँ दो . आंध्र प्रदेश CB/CID ने अपना हाथ ऊँचा कर लिया की उसे ऐफीडेविट नहीं देना है जो हम सबके लिए सही है ,तो फिर ये चार्ज शीट कहाँ से आ गया.चार्ज शीट का सीधा मतलब है हमारे खिलाफ रिपोर्ट चाहे उस रिपोर्ट में दम हो या न हो लकिन खिलाफ में रिपोर्ट तो CB CID ने जमा तो कर दी और उस चार्ज शीट के आधार पे SAOL का केस जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था जिस से हम सबको बहुत उमीद थी वो सुप्रीम कोर्ट को ख़ारिज करना पड़ा
अब हम सब मिल के भगवन से प्रार्थना करे की १९ सितम्बर को सब कुछ अच्छा हो और 19 सितम्बर का इंतजार करे

See the order of CB-CID Case Disposal:
UPON hearing counsel the Court made the following O R D E R :
Since the charge sheet has been filed by the respondents on 2.8.2012, Sh. Patwalia, learned Senior Counsel, on instructions, seeks permission of this Court to withdraw these petitions.
Permission sought for is granted. Petitions are disposed of as withdrawn.
However, we make it clear that certain observations so made by the High Court will not come in the way of the Trial Court in deciding any application/petition that may be filed by the petitioner for appropriate relief.

EXCELLENT ORDER FROM SUPREME COURT.JAI SPEAK ASIA….
JAI SPEAK ASIA.
NO NEED FOR CONFUSION…. HIP HURRAYYYYY


जय स्पिक एशिया
Thanks & Regards,
Admin

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