स्पीक एशिया : ऐस्पा : पॉवर एडमिन्स की वास्तविकता



आदरणीय स्पीक एशियन्स, कुछ लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए कभी भी तथ्यों को स्वीकार नहीं करेंगे अपितु अपने अप्रसांगिक तर्कों द्वारा लगातार दूसरों को भ्रमित करेंगे एवं खुद भी भ्रमित रहेंगे। जो नासमझ हो, उसे समझाया जा सकता है परन्तु जो समझ के भी नासमझ बना रहे, उसका कोई इलाज नहीं। कहते हैं की मरे और मुकरे को कोई ठीक नहीं कर सकता। फिर भी एक प्रयास तो किया हे जाना चाहिए, जिस से कि इस अवस्था से अभी तक बचे लोगों को भ्रमित एवं रोग ग्रस्त होने से बचाया जा सके।

सबसे पहले हमें यह हमेशा याद रखना होगा कि भागने वाले भाग जाते हैं। अदालत में लड़कर कोई नहीं भागता। चलो मान लेते हैं कि स्पीक एशिया भाग ही जाना चाहती है। तो फिर उसे देश के सम्मानित वकीलों को लेने की कोई ज़रूरत नहीं थी। किसी भी वकील को ले के यह लड़ाई आसानी से हारी जा सकती थी और कह देते कि हमने तो बहुत कोशिश की, अब क्या कर सकते हैं? लेकिन ऐसा हुआ नहीं, कंपनी ने एक से एक वरिष्ठ वकीलों की सेवाएँ लीं।

उदाहरण के तौर कुछ companies के नाम लेने ज़रूरी हैं जहाँ लोगों का पैसा और इज्ज़त दोनों गए।
1. सिटी लिमो
2. स्टॉक गुरु
3. राम सर्वे
4. यूरेशिया
5. बिड वर्ल्ड
(इन नामों में बहुत जल्द 2 नाम और जुड़ने वाले हैं।)

अब इन में से ऐसी कौन सी कंपनी है जो अपने मेंबर्स के लिए लड़ रही है? किसी को कुछ अता पता है इनका?जबकि इनके मेंबर्स ही इनके खिलाफ जा के शिकायत दर्ज करा के आये थे। कभी इनसे पूछना की आजकल क्या चल रहा है और इनकी मैनेजमेंट क्या कर रही है, इनके लीडर्स कहाँ हैं? कोई चमचा तक नहीं दिखता इनका?

इसका कारण यह है कि इन कंपनियों में ईमानदारी नहीं थी, इसी लिए यह भागे याँ दबा दिए गए, ना इनके मेंबर्स कभी भी संगठित हो पाए और ना तो कोई इनका लीडर सामने आया और ना ही कोई चमचा। एक बात यहाँ यह समझने वाली है कि सारी शक्ति सत्य, ईमानदारी और मजबूत इच्छाशक्ति में ही छुपी है। प्रशन खड़ा करना हमेशा से ही आसान रहा है, उत्तर देने में शक्ति की ज़रूरत होती है। आरोप बहुत आसानी से लगाये जा सकते हैं, आरोप सहने में शक्ति लगती है। घर बैठ कर खिड़की से तमाशा देखना बहुत सुहाता है, तमाशा खुद बन जाने में शक्ति लगती है।

कुछ लोग यह इलज़ाम लगाते हैं कि हम क्या समझें आम पनेलिस्ट का दर्द। मेरे भाई, दर्द समझा है, खुद पर भी झेला है। इसी लिए आज भी डट कर खड़े हैं। हम पॉवर एडमिन को किसी ने trained नहीं किया। हम में से तो एक भी torch bearer meet में भी नहीं था। आधे से ज्यादा admins ने कभी कोई सेमिनार तक अटेंड नहीं किया, कईयों ने एक पैसा तक नहीं कमाया। 1-2 को छोड़कर कोई आजतक तारक जी यां मनोज जी से कभी मिला नहीं, उन्हे कभी देखा तक नहीं। हम अपने स्तर पर ही हर खबर पता करते रहे, अदालतों के चक्कर काट काट के और अपने सब भाइयो, बहनों को बताते रहे, क्यूंकि उस वक़्त ना तो ऐस्पा प्रकाश में आई थी और ना ही कोई ब्लॉग था। अदालत की वेबसाइट पर भी जा कर किसी को देखना नहीं आता था, किसी के पास कोई केस का नंबर तक नहीं होता था। जब ऐस्पा का गठन हुआ तो अशोक बहिरवानी जी के विडियो अपडेट आने लगे, कभी देखा था किसी ने ऐसा कहीं भी? उस वक़्त यही लग रहा था की बस कुछ ही दिनों की बात है, जल्दी ही सब ठीक हो जायेगा। लेकिन नहीं पता था कि इतना वक़्त लग जायेगा। और इस देरी में कुछ लोग टूटते गए, कईयों के साथ छूटते गए। मगर इन सबके बावजूद पॉवर एडमिन लगातार 18 मई 2011 से सबको बराबर खबर देने का और मनोबल बनाये रखने का काम करते आये हैं। अगस्त 2011 में हमें ऐस्पा का भी साथ मिल गया और हमने ऐस्पा के साथ मिल के इस काम को जारी रखा।

मैं आज यहाँ सबको पॉवर एडमिन की वर्तमान स्तिथि के बारे में बताना चाहता हूँ। हम आज की तारीख में कुल 7 लोग हैं। कोई भी कहीं पर कोई दूसरी mlm नहीं कर रहा और ऐस्पा याँ कंपनी की तरफ से कोई भी आर्थिक सहयोग भी नहीं ले रहा। कंपनी से पैसे के लेन देन का कोई मतलब ही नहीं और कोई सवाल भी नहीं उठता। यह हमारी खुद की इच्छा से चुनी गयी लड़ाई है। ऐस्पा के पास कुछ पैसा है नहीं और वैसे भी उनसे भी लेने का कोई सवाल ही नहीं क्यूंकि हम मुश्किलों के एक ही जहाज़ में सवार हैं।

1. श्रीमान आनंद प्रसाद - कार्गो की एजेंसी - घाटे में। वाहन बेच कर काम चलाया। कोई और काम नहीं।
2. श्रीमान दीपांशु वार्ष्णेय - कोई नौकरी नहीं है। कुछ बचत है, जिस से थोडा बहुत काम चल रहा है अभी तक।
3. श्रीमान अमन आज़ाद - कोई काम नहीं। कोई बचत नहीं। कर्ज़ा सर पर। टोटल राम भरोसे।
4. श्रीमान संदीप गुप्ता - कार्गो की एजेंसी - घाटे में। कोई और काम नहीं। कोई बचत नहीं।
5. श्रीमान संजीव खन्ना - चार्टर्ड अकाउंटेंट - नौकरीशुदा - आमदनी अठन्नी, खर्च रुपइया।
6. श्रीमान विनीत तिवारी - कोचिंग क्लासेज - ठीक ठाक स्तिथि। अपना खीँचतान के पूरा करना होता है।
7. श्रीमति शैली सूद - कंसल्टेंसी - स्तिथि ठीक नहीं - बचत कुछ नहीं।

यह अगर चाहते तो कहीं और से बहुत कमा सकते थे, लेकिन इन्होने अपना पूरा समय इस लड़ाई में दिया सिर्फ इस भरोसे में कि हम जीत कर ही मानेंगे। हमने कभी किसी को काम करने से रोका भी नहीं अपितु जितना सहयोग बन पड़ा, उतना दिया भी। यह वो लोग हैं जो किसी भी हाल में एक दूजे के साथ हैं। कभी पीछे नहीं हटने वाले और इस लड़ाई में हमें बहुत से अच्छे और सच्चे स्पीक एशियन्स का भी समर्थन प्राप्त हुआ। आज बहुत से पनेलिस्ट्स और ऐस्पा एडमिन समेत श्रीमान अशोक बहिर्वानी और श्रीमान मेल्विन क्रेस्टो की भी कमोबेश यही हालत है जो इस लड़ाई में लगातार अगुवाई कर रहे हैं, सहयोग दे रहे हैं, यह चाहत और जुनून की ज़िद है, किस्मत की नहीं। कोई ज़बरदस्ती नहीं । क्यूंकि हम जानते हैं कि स्पीकएशिया वापस आएगी और ऐस्पा एक ईमानदार संगठन है।

(कुछ लोग इसे भी झूठा भाषण ही कहेंगे। लेकिन जो लिखा है, दिल से लिखा है और एक एक शब्द सच है। मानो यां ना मानो। विचार आपके, जीवन आपका।)

वो ना समझ पाए मेरे जुनून की हद को....
इसे दग़ा का नाम देकर, वो मशहूर हो गए...!!!

आभार,
अमन आज़ाद

Comments

  1. very goods comments sanjeev

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  2. we are win and we are bound win jai speakasia sanjeev

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  3. Thanks for yr motivation, best wishes for new year 2013 ,speakasia was
    the best earning option for specially common man,lets hope for best in comming new year 2013.Best wishes to every speakasian.

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  4. We are every thing and any time pray the slogan of "JAI SPEAKASIA"..."JAI SPEAKASIA...because SAOL will only change our life style.

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  5. We are every thing and any time pray the slogan of "JAI SPEAKASIA"..."JAI SPEAKASIA...because SAOL will only change our life style.

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