स्पीक एशिया: एक सविनय निवेदन .....
सभी स्पीक एशियन भाइयो व् बहिनों को मेरा प्यार भरा नमस्कार दोस्तों जैसा की आप सब लोगो को पता है की स्पीक एशिया अपने जंग के आखिरी मुकाम पर है, मैंने पहले भी बार बार अपने भाइयो व् बहिनों को अपने पोस्ट के जरिये बार बार आगाह किया है, की वो लड़ाई के इस निर्णायक मोड पर एकजुट रहे दुश्मन बहुत चालाक है वो नहीं चाहता की हम एक जुट रहे और हमारी लड़ाई किसी निष्कर्ष पर आ कर पहुचे.
हमे इससे पहले भी बहुत बार गिराने की नापाक कोशिश की गयी जो हम सब लोगो की एकता व् अखण्डता के चलते संभव नहीं हो सका.साथियो इस दौरान हमने अपने जिंदगी के बुरे से बुरे दिन देख लिए है ,और जितने बुरे दिन देखने थे वो देख चुके अब तो बस जरूरत है सुरुवात करने की एक नयी पारी के साथ लोगो के हसते व् खिलते हुए चेहरों के साथ अपने बड़े बुजुर्गो के माताओं व् बहिनों के आशीर्वाद के साथ,तो निश्चित ही हमारा भविष्य सुनहरा होगा मुझे इस बात मैं लेस मात्र भी संदेह नहीं है ,दोस्तों मैं ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हू, अपनी पूरी AISPA व् AISPA की पूरी लीगल टीम को जिन्होंने अपने रात दिन के अथक प्रयास से हमारी लड़ाई को इस मोड पर पहुचाया फिर वो चाहे नवनीत खोसला का प्रकरण हो या EOW. का मामला दोनों ही प्रकरण मैं पूरी AISPA व् AISPA की लीगल टीम ने हमे पूरा सहयोग दिया
,मैं खासकर अपने बड़े भाई साहब अशोक जी का अमन जी का व् माल्विन जी का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हू की जिस निस्वार्थ भाव से आप सभी लोगो ने हम सभी भाइयो व् बहिनों के लिए बलिदान किया उस का क़र्ज़ हम मरते दम तक नहीं चूका सकते है,आज एक तरफ अपने बहुत से भाई व् बहिन अपनी AISPA को मजबूती प्रदान करने मैं लगे है दूसरी तरफ कुछ सरारती तत्व है जिनको ये फूटी आँख नहीं सुहा रहे है ये लोग अपने अनर्गल बातो से लोगो को भ्रमित कर रहे है इनकी मूर्खता पर मुझे क्रोध नहीं बल्कि इन पर तरस आता है ये वोही लोग है जिन लोगो ने सिस्टम को समझने की कभी कोशिश ही नहीं की और करे भी क्यों इनको देख कर तो मुझे दो पंक्तियाँ याद आती है. की आप का तो लगता है बस यही सपना राम राम जपना पराया माल अपना..
इन बुद्धिजीवियों से मैं करबद्ध प्रार्थना करना चाहता हू की खाली फेसबुक पर लिखने से कुछ नहीं होगा आज शायद आप को तो ये भी पता नहीं की पूरी AISPA की टीम आज कल रात दिन एक कर काम कर रही है कोई भी पद कांटो से भरा हुआ होता है उस पद की मर्यादा को बचाय्रे रखने की जिम्मेदारी हम सभी पर है,पर अफ़सोस हम अपनी शालीनता ,अपने संस्कार ,अपने से बडो का सम्मान करने की परम्परा को भूलते जा रहे है कही ये हमारे विनाश का कारण तो नहीं है इसीलिए साथियो जागो अपने विवेक को जगाओ आरे नादानो सौ दो सौ रूपये से किसी का भी भला नहीं होने वाला दर असल मैं ये लोग तो भगवान को भी नहीं छोडते है तो इंसानों को क्या छोडगे अभी भी समय है संभल जाये अभी भी देर नहीं हुई है वर्ना फिर बोलना पडेगा की अब पछताए होए क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ,साथियो कंपनी भी वापस आएगी अपने निश्चित समय पर अफवाहो पर ध्यान न दे खुद भी अपनी अक्ल लगाये ,याद रखिये........
जीत हमारी निश्चित है जय स्पीक एशिया..
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