स्पीक एशिया : Ashok Bahirwani’s Update: 24th February, 2012 हिंदी मैं



Good Morning Speakasians, AISPA रिट (WP (अपराधिक ) / 3611/2011 ) मुंबई उच्च न्यायालय के माननीय प्रभागीय बेंच द्वारा कल सुना गया था. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस रिट में जो अंतर्कलिन अंतरिम राहत की प्रार्थना की है,वो यह है, कि EOW द्वारा जांच, विशेष रूप से पनेलिस्ट्स के खिलाफ, मध्यस्थता प्रक्रिया जो माननीय .लहोटीजी.द्वारा किये जा रही हैं, के अंतिम निपटान तक, रुकवा दी जाए.
EOW ने माननीय उच्च न्यायालय को सूचित किया, कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश कल यानी २३ फरवरी, २०१२ को पारित किया था, कि EOW द्वारा जांच जारी रह सकती है. हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखा है और आदेश बहुत ही स्पष्ट है, कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में कल का मामला, सिर्फ अदालत से अनुमति प्राप्त करने के लिए था, कि १ करोड़ अमेरिकी डॉलर जो न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा किये गए थे उसे Fixed Deposit में जमा किये जाए , ताकि जमा राशि पर ब्याज कमाया जाए जबतक कि मामले का फैसला नहीं हो जाता. EOW की चर्चा भी नहीं हुई थी, ऐसा आदेश मिलना जैसा उच्च न्यायालय में PP (Public Prosecutor सरकारी वकील ) वर्णन कर रहे थे, उसे तो भूल ही जाइए.

इस तरह से EOW और सरकारी वकील (PP ) प्रक्रिया में विलंभ कर रहे हैं और अब वे अदालत को गलत सूचना देकर निचले स्तर तक गिर चुके है . इस सुनवाई पर कोर्टने EOW से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कल के आदेश.को पेश किया जाए. मुझे कंपकंपी.आती है यह सोचकर कि कैसे सरकारी वकील (PP )अपने दावे को प्रमाण से सिद्ध करेंगे.

प्रतिवादी क्रमांक ३, श्री नवनीत खोसला ने एक बार फिर से अपने स्वयं के पक्षपाती तरीके से, माननीय अदालत में SAOL का मामला समझाने की कोशिश की, जिसे हमारे वरिष्ठ वकील श्री पी.एस. पतवालिया ने टिप्पणी की, कि दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं, वे जिन्हें हमेशा समस्या और शिकायत रहेगी और दुसरे वे जो समस्या का समाधान ढूँढने की कोशिश करेंगे. श्री पतवालिया ने संकेत दिया कि श्री नवनीत खोसला स्पष्ट रूप से पहली श्रेणी में आते है. श्री पतवालिया ने माननीय उच्चतम न्यायालय के ध्यान में लाया, माननीय सुप्रीम कोर्ट और माननीय मध्यस्थ श्री लाहोटीजी की रिपोर्ट के विभिन्न आदेशों द्वारा, कि कैसे सुप्रीम कोर्ट ने मामले का एक साकल्यवाद,संपूर्ण दृष्टिकोण लिया क्योंकि एक विशाल जन समुदाय इस से संबंधित होने के कारण ,माननीय सुप्रीम कोर्ट की इस विवाद को शीघ्र हल करने में रुचि थी नाकि इसे एक लंबी कानूनी प्रक्रिया की कठोरता से गुजरना पड़े और इस लिए इस मामले में मध्यस्थता.आदेश जारी किया.

श्री पतवालिया ने कोर्ट को सूचित किया और दर्शाया कि यह लगता है कि प्रतिवादी क्रमांक ३ नवनीत खोसला बजाय अपने पैसे में,हाथ मरोड़ कर दबाव डालने में अधिक रुचि रखते हैं , अगर वास्तव में उन्हें अपने पैसे में रुचि है तो उन्हें बाहर निकलें विकल्प को चुनना चाहिए और शांति से बाहर निकलना चाहिए. लेकिन इसके विपरीत प्रतिवादी ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट न्यायालय में एक शिकायत दर्ज करना पसंद किया है और कंपनी से ३५ लाख से अधिक की राशि के हर्जाने का दावा किया है.''

इस से स्पष्ट रूप से उत्तरदाताओं की मनशा और चरित्र का पता चलता है. श्री नवनीत खोसला ने कंपनी के संकल्प को गलत समझा है, कंपनी ने बहुतायत से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह हाथ मरोड़ कर दबाव डालने के किसी भी प्रकार के आगे या किसी भी व्यक्ति या किसी प्राधिकारी के द्वारा ब्लैकमेल.के आगे सर नहीं झुकाएगी, SAOL को निहित भरोसा और विश्वास है भारतीय न्यायपालिका में और अपने अधिकार के लिए डट कर खड़े रहने के लिए तैयार है और उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत ही अपना बचाव करेगी और स्पष्ट रूप से अब तक अपने संकल्प को बेहिचक दिखाया है.

सुनवाई के दौरान. माननीय न्यायमूर्ति श्री वी एम कानडे ने प्रतिवादी श्री नवनीत खोसला को बताया कि कैसे एक न्यायाधीश के रूप में उन्होंने अनुभव किया है, कि इस तरह के मामले , लंबी अवधि के लिए चलते रहते हैं और संपत्ति जब्त होने पर और बैंक खातों जप्त करने पर भी , अंतिम विश्लेषण में निवेशक को जल्द पैसा नहीं मिलता है. माननीय. न्यायाधीश की राय थी कि यह कारण हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की नियुक्ति करने की,ताकि एक त्वरित समाधान पर पहुँच सके और सभी निवेशकों का पैसा सुरक्षित हो और शीघ्र भुगतान किया जा सके.

इंटरनेट पर अफवाह चल रही है कि CBDT (आयकर विभाग) ने कंपनी से ११५ करोड़ रुपये के आसपास तक की बकाया राशी का दावा किया है. जहाँ तक हम जानते हैं, कंपनी का कोई कर दायित्व नहीं है. अगर इस के दावे को उठाया गया है, तो इससे हम पनेलिस्ट्स कैसे प्रभावित होंगे. मुझे यकीन है कि कंपनी अपने कारोबार को जानती है और निश्चित रूप से ऐसी संभाव्य घटना के लिए अपनी निधि प्रवाह में प्रबंध किया होगा. यदि बकाया राशि के रूप में CBDT ने जो दावा किया वो वास्तव में लागू हैं, मुझे यकीन है कि कंपनी भुगतान करने से दूर नहीं भागेगी, दूसरी ओर अगर बकाया राशि सही साबित नहीं कर सकते तो कंपनी उस पर बहस करेगी.

जहाँ तक मेरी सोच पहुंचती है और यह बहुतायत स्पष्ट है कि देश में कंपनी के पास ,पर्याप्त पैसा है, जिससे बाहर निकलें विकल्प चुनने वाले पनेलिस्ट्स की मांग का संपूर्ण दायित्व पूरा कर सके और यदि कोई सरकारी बकाया राशि हो तो उसे भी पूरा कर सके.

पनेलिस्ट्स के रूप में हमारी कार्यसूची स्पष्ट है और ध्यान बहुत ज्यादा केंद्रित है, इस बात पर कि व्यापार तुरंत शुरू हो, और बाहर निकलें विकल्प का बिना किसी विलंभ के लागू किया जाना चाहिए.

Speakasians, मैं आपके साथ बात बांटना चाहता हूँ , कि आपके Association ने EOW के खिलाफ, कल एक ताजा रिट दायर की है. यह नई AISPA रिट, हमारे मूलभूत अधिकार के संरक्षण के लिए है, जो है Association का संघटन और प्रबंधन करना, और जिसका प्राथमिक उद्देश्य है सभी पनेलिस्ट्स के हित को सुरक्षित रखना.

यह हमारा मूलभूत अधिकार है, कि एक संस्था का संघटन और प्रबंधन करें और हमें भारत के संविधान के 19(1) (c) के अंतर्गत इसकी गारंटी भी है. पिछले दो चार बार, जब हमारे अध्यक्ष श्री Melwyn Crasto जांच अधिकारी के समक्ष आये, तब सभी जांच AISPA के कामकाज पर और हमारी वेबसाइट aispa.co.in के निर्माण पर की गयी थी. मुझे u /s १६० के अंतर्गत भेजी गयी नोटिस भी AISPA और वेबसाइट aispa.co.in के बारे में जांच पर केंद्रित है. EOW को दिए मेरे सारे विवरण और बयान स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि पूछताछ की दिशा Association क़ी और है.

किसी हाल में भी Association , कंपनी के कामकाज या मामलों के साथ सम्बंधित नहीं है और न तो Association को किसी भी मामले में नामित किया गया है, वहाँ Association क़ी ओर जांच के लिए कोई मामला नहीं है.

पिछले नौ महीनों से हम सब हमारे अज्ञात दुश्मन द्वारा किये गए विभिन्न प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण अभियान से पीड़ित है. इस तरह की शक्ति और इस शक्तिशाली विरोधी की पहुँच इतनी है, कि वह हमारे खिलाफ राज्य प्रशाशन को प्रभावित करने में कामयाब रहे है. इस कुटिल योजना के वास्तुकार के दुर्भाग्य से, उसने पनेलिस्ट्स के संकल्प और समर्थन के बारे में नहीं सोचा ,और यह उसकी "दुखती रग" निकली ,उसकी अन्यथा घातक योजना के लिए, जो थी, अपनी प्रारंभिक अवस्था में मार डालना ,एक क्रांतिकारी व्यवसाय मॉडल को, जो अपने समय से बहुत आगे है और लाखों भारतीयों के जीवन को बदलने की क्षमता जिसमे है. पनेलिस्ट्स का कंपनी को समर्थन उपलब्ध कराने और एक लंबी अवधि के लिए कंपनी के पीछे एकजुट रहना , वास्तुकार यह स्तिथि देखने में विफल रहा.

"न्याय में देरी, न्याय से वंचित रखना है"

विलियम ग्लैडस्टोन

हम सब ने कई अवसरों पर ऊपर दिया गया उद्धरण पढ़ा है, लेकिन शायद पहली बार वास्तव में इसका अर्थ महसूस किया है.

हमें कुछ और समय के लिए हमारा सामूहिक धैर्य रखना है. जैसे कि श्री मनोज कुमारजी कहते हैं, कि हम कहीं नहीं जा रहे,सिर्फ आगे ही बढ़ रहे हैं, मुझे आगे बढ़ते हुए गति का ज्ञात हो रहा है और आप यह भी देख रहे है कि हर मामले में हम हमेशा आगे बढ़ रहे हैं, क्या यह हमारे पक्ष में जीत और सकारात्मक नहीं है?

धैर्य रखिये , विश्वास रखिये , अपनी कंपनी पर भरोसा रखिये .

मोरया भाई मोरया .

Speakasian होने पर गर्व

जय Speakasia

 
अशोक बहिरवानी
सचिव AISPA

Comments

Popular posts from this blog

Writ 1127 Full update

New Format Cheques to be valid from 31.12.2012

THINK TO BE POSITIVE WP/1127 DISPOSED