स्पीक एशिया को अब भाग ही जाना चाहिए
दोस्तों आज समाचार पत्र में एक खबर देखने मिली और मेरे मन में कुछ बातें उठने लगी, खबर यह थी के ........अब तक तिहार जेल में ''सरकारी मेहमान'' बने हूवे राष्ट्रकुल खेल समिती के अध्यक्ष,भूतपूर्व खासदार सुरेश कलमाड़ी को देहली हायकोर्ट ने पांच लाख रु की जमानत पर मुक्त किय और न्याय मूर्ति ने इस केस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हूवे कहा ......हर आरोपी को जमानत मिलना यह एक नियम है.
और कलमाड़ी ने कोर्ट के बाहर यह प्रतिक्रिया दी ........पिछले 9 महीनों में मुझ पर सिर्फ आरोपपत्र दाखिल हूवा है सुनवाई को तो बड़ा लंबा वक़्त लगाना है. दोस्तों न्याय मूर्ति और कलमाड़ी की प्रक्रिया देखने पर मै कुछ सोचने पर मजबूर हो गया.
क्या यही भारत की न्याय प्रणाली है ? जिस क़ानून का ब्रीदवाक्य है '''सद रक्षणाय,खल निग्रहणाय '' किस ''खल'' का दमन हो रहा है ? किस ''सद'' का रक्षण हो रहा है? कैसे कैसे विरोधाभास देखने मिल रहे है?
एक और SAOL अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथ-पैर मार रही है,न्याय की गुहार कर रही है,हाय कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में चक्कर पर चक्कर काट रही है और दूसरी और ९० करोड़ नुक्सान के जिम्मेदार क़ानून को ''ठेंगा'' बताकर अब आजाद घूमनेवाले है
दिल से आवाज आने लगी ......SAOL भाग जाओ........तुम्हारा कुछ नहीं होनेवाला है तुम्हारा रास्ता ही गलत है .................तुम प्रवाह के विरुद्ध तैरने की कोशिश कर रहे हो ..क्या जरुरत है हम पेनेलिस्तों का पैसा वापस करने की? ................आज तक कौन सी कम्पनी ने यह कदम उठाया है हम जैसे लोगों के लिए ?
और मनोज जी,हरेन जी आप को क्या जरुरत है भारत के बहार से पेनेलिस्तों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की .................अरे आ जाओ भाई इंडिया में .........................कुछ नहीं होगा .......ज्यादा से ज्यादा १० लाख की जमानत होगी .......................या थोड़ी और ज्यादा की होगी ..लेकिन हो जाएगी......और यह रेड कॉर्नर नोटिस वोटिस कुछ नहीं होती है जी...............जो इस के लिए भारत के बहार रहना पड़े आप लोगों का तो पलक पावडे बिछाकर इन्तजार हो रहा है कारन पता है आपको ?......अरे सर जी .....सरकारी मिशिनारी में ''बहोत सारे अफसरों की बहोत जरूरतों का निवारण''' आप के द्वारा हो सकता है
देखो न अबू सलेम जी भी तो आये है दुबई में रहकर ............लेकिन आये इण्डिया में ही न ??? मातृभूमि की चाह खिंच ही लायी .....अब तो इलेक्शन भी लड़नेवाले है जीतेंगे भी ....उन पर तो बड़े भारी भारी इल्जामात लगे है .....आप पर क्या लगा है ...............कुछ हजार करोड़ का आरोप??
मनोज सर जी,हरेन जी आप भी आ जाओ इंडिया में ,कुछ महीने जेल में निकालो, फिर जमानत मिल ही जानी है क्योकि ...कल ही तो कोर्ट ने कहा है '''''.हर आरोपी को जमानत मिलना यह एक नियम है ''''' SAOL के वकील इसीके आधार पर आपकी जमानत बखूबी करवा देंगे ...फिर इलेक्शन लड़ो .....और फिर बड़े शान से '''' स्पीक एशिया'' शुरू करो........फिर देखो किसमे दम है आप के खिलाफ ''चूं'' भी करने का ............................
और यह मै आपसे कोई मजाक भर में नहीं कह रहा हूँ .........भाई मेरे पास प्रमाण मौजूद है ..एक तो कलमाड़ी जी का मैंने दे दीया है ..................दूसरा ..........नागपूर में किसी मंत्री जी के भतीजे ने नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी ''खोल'' ली है
प्रोडक्ट भी बड़े अच्छे ..........नेनो कार्ड......जो अब दस-दस रु में मुंबई के दादर नामक रेलवे स्टेशन पर बिक रहा है, स्केलर पेन्दंत जो ८०से १२० रु में मिल रहा है .....ऐसे ना जाने क्या क्या .....................अगर आपको ऐसे ही प्रोडक्ट की कम्पनी शुरू करने का विचार हो तो मुझसे जरुर कांटेक्ट करना ,.......मनोज जी ,हरेन जी ......मै आपको ऐसे बहोत सारे प्रोडक्ट बता सकता हूँ जो ...दस बीस रु के होंगे और जिसे आप १७०० रु की जोइनिंग में हजार रु की बायनरी के साथ धड़ल्ले से लोगों के गले ''मार''सकते हो
दोस्तों यह मैंने कुछ लिखा है यह मेरे दिल से ......उस समाचार के एवज में निकली हवी प्रतिक्रया है जो मैंने आज सुबह अखबार में देखि है ...................
दिल तो यही कह रहा है के ...........................स्पीक एशिया को अब ''न्याय की गुहार लगाने'' की अपेक्षाभाग ही जाना चाहिए .......................................
आज इतना ही...............................
दिल से आवाज आने लगी ......SAOL भाग जाओ........तुम्हारा कुछ नहीं होनेवाला है तुम्हारा रास्ता ही गलत है .................तुम प्रवाह के विरुद्ध तैरने की कोशिश कर रहे हो ..क्या जरुरत है हम पेनेलिस्तों का पैसा वापस करने की? ................आज तक कौन सी कम्पनी ने यह कदम उठाया है हम जैसे लोगों के लिए ?
और मनोज जी,हरेन जी आप को क्या जरुरत है भारत के बहार से पेनेलिस्तों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की .................अरे आ जाओ भाई इंडिया में .........................कुछ नहीं होगा .......ज्यादा से ज्यादा १० लाख की जमानत होगी .......................या थोड़ी और ज्यादा की होगी ..लेकिन हो जाएगी......और यह रेड कॉर्नर नोटिस वोटिस कुछ नहीं होती है जी...............जो इस के लिए भारत के बहार रहना पड़े आप लोगों का तो पलक पावडे बिछाकर इन्तजार हो रहा है कारन पता है आपको ?......अरे सर जी .....सरकारी मिशिनारी में ''बहोत सारे अफसरों की बहोत जरूरतों का निवारण''' आप के द्वारा हो सकता है
देखो न अबू सलेम जी भी तो आये है दुबई में रहकर ............लेकिन आये इण्डिया में ही न ??? मातृभूमि की चाह खिंच ही लायी .....अब तो इलेक्शन भी लड़नेवाले है जीतेंगे भी ....उन पर तो बड़े भारी भारी इल्जामात लगे है .....आप पर क्या लगा है ...............कुछ हजार करोड़ का आरोप??
मनोज सर जी,हरेन जी आप भी आ जाओ इंडिया में ,कुछ महीने जेल में निकालो, फिर जमानत मिल ही जानी है क्योकि ...कल ही तो कोर्ट ने कहा है '''''.हर आरोपी को जमानत मिलना यह एक नियम है ''''' SAOL के वकील इसीके आधार पर आपकी जमानत बखूबी करवा देंगे ...फिर इलेक्शन लड़ो .....और फिर बड़े शान से '''' स्पीक एशिया'' शुरू करो........फिर देखो किसमे दम है आप के खिलाफ ''चूं'' भी करने का ............................
और यह मै आपसे कोई मजाक भर में नहीं कह रहा हूँ .........भाई मेरे पास प्रमाण मौजूद है ..एक तो कलमाड़ी जी का मैंने दे दीया है ..................दूसरा ..........नागपूर में किसी मंत्री जी के भतीजे ने नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी ''खोल'' ली है
प्रोडक्ट भी बड़े अच्छे ..........नेनो कार्ड......जो अब दस-दस रु में मुंबई के दादर नामक रेलवे स्टेशन पर बिक रहा है, स्केलर पेन्दंत जो ८०से १२० रु में मिल रहा है .....ऐसे ना जाने क्या क्या .....................अगर आपको ऐसे ही प्रोडक्ट की कम्पनी शुरू करने का विचार हो तो मुझसे जरुर कांटेक्ट करना ,.......मनोज जी ,हरेन जी ......मै आपको ऐसे बहोत सारे प्रोडक्ट बता सकता हूँ जो ...दस बीस रु के होंगे और जिसे आप १७०० रु की जोइनिंग में हजार रु की बायनरी के साथ धड़ल्ले से लोगों के गले ''मार''सकते हो
दोस्तों यह मैंने कुछ लिखा है यह मेरे दिल से ......उस समाचार के एवज में निकली हवी प्रतिक्रया है जो मैंने आज सुबह अखबार में देखि है ...................
दिल तो यही कह रहा है के ...........................स्पीक एशिया को अब ''न्याय की गुहार लगाने'' की अपेक्षाभाग ही जाना चाहिए .......................................
आज इतना ही...............................
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