स्पीक एशिया : अशोक बहिरवानी का बयान on 15 Jan 2012
मैं मेरे सभी Speakasian परिवार के सदस्यों को लोरी, मकर संक्रांति, बिहू और पोंगल की शुभ कामनाएं देता हूँ. संक्षेप में, मैं मेरे सभी Speakasian परिवार के सदस्यों और वास्तव में सभी भारत वासियों को एक खुशहाल कटाई का मौसम और एक बहुत खुश और समृद्ध नए साल की कामना करता हूँ.
९ जनवरी २०१२ के मेरे पिछले अद्यतन के बाद बहुत कुछ हुआ है, और मै मेरे परिवार के सदस्यों को उन घटनाओं के बारे में अद्यतन करना चाहता हूँ. मैं नीचे उन घटनाओं को रिकॉर्ड करना चाहता हूँ :
१० जनवरी को, मुझे EOW से नोटिस मिला, १२ जनवरी २०१२ को IO के समक्ष उपस्थित रहने के लिए , SAOL से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के लिए. मैं विस्तार में IO श्री P I शेलके के साथ हुई मेरी बातचीत को दोहरा नहीं सकता ,क्योंकि यह मामला न्यायाधीन है, लेकिन मैं निश्चित रूप से कहना चाहता हूँ, कि यह एक बहुत ही सदभाव पूर्ण बातचीत हुई.
मैं पूरे Speakasian परिवार के जानकारी के लिए निम्नलिखित कुछ बातें ध्यान में लाना चाहता हूँ :
खत्रीपूर्वक यह जानकारी है कि, दिनांक १५ दिसंबर २०११, की अंतरिम रिपोर्ट माननीय लाहोटी जी द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह कहती है कि:
a) कंपनी के कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर EOW मुंबई द्वारा निष्क्रिय (frozen )किये गए हैं और इस प्रकार कंपनी, डेटा (data ) तक पहुँच नहीं पाती, और एक विस्तृत योजना पर काम नहीं कर पाती,जिससे पनेलिस्ट जो बाहर निकलना चाहते हैं, उनका भुगतान हो और पनेलिस्ट जो जुड़े रहना चाहते हैं वो कंपनी के साथ जुड़े रहे.
b) कंपनी के बैंक खाते IT विभाग द्वारा निष्क्रिय (frozen )किये गए हैं, और कंपनी डर रही है भारत में पैसे लाने के लिए, जिस से पनेलिस्ट के बाहर निकलें विकल्प के वैध देय राशि का भुगतान हो, और आशंका है ,कि कहीं ये पैसा भी निष्क्रिय न किया जाए.
c) RBI ने दिनांक २३ मई २०११ को एक परिपत्र जारी किया था , जो हालांकि कंपनी से सीधे उद्देश्य में नहीं था, लेकिन जिसके परिणाम स्वरुप , कंपनी के कारोबार के गतिविधि में एक ठहराव आया.
माननीय मध्यस्थ न्यायमूर्ति श्री लाहोटी जी आगे कहते हैं कि कोई बाध्यकारी दिशा माननीय मध्यस्थ द्वारा नहीं बनायी जा सकती जब तक सभी दल और अन्य संस्थाएं सहमत नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं और उत्तरदाताओं अर्थात् SAOL और HVP ने माननीय मध्यस्थ को जानकारी दी,कि CBDT, EOW (मुंबई) को माननीय न्यायालय की कार्यवाही के लिए पार्टियों के रूप में शामिल करने के लिए निर्देश दिया गया है. इन दलों को भी माननीय मध्यस्थ द्वारा १२ दिसंबर २०११ को मध्यस्थता कार्यवाही में शामिल होने के लिए नोटिस दिया गया था . इसके बाद CBDT (IT विभाग) की ओर से उपस्थिति हुई थी. हालांकि, EOW (मुंबई) की तरफ से कोई उपस्थिति नहीं थी.
१४ दिसंबर २०११ को एक ई-मेल द्वारा, RBI ने कंपनी को लिखा था, कि RBI ने उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से पैसा लाने में कंपनी पर कोई प्रतिबंध नहीं रखा था. इसके अलावा RBI ने कानून के अनुसार,.पनेलिस्ट्स के पैसे का भुगतान करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था.
RBI के इस स्पष्टीकरण के साथ,रास्ता साफ़ हो चूका है कंपनी के लिए,पनेलिस्ट्स के पैसे लाने के लिए, और अब केवल माननीय न्यायालयों से अपेक्षित अनुमति पर निर्भर है.
हम सभी को सोमवार यानी १६ जनवरी २०१२ का इंतज़ार है, जब दो महत्वपूर्ण न्यायालय मामले, सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं, अर्थात AISPA WRIT ३६११/२०११ , मुंबई उच्च न्यायालय में और पैनलइस्ट्स WRIT ३८३ /२०११,माननीय सुप्रीम कोर्ट में.
हम सबको समझना चाहिए, कि यह कानूनी प्रक्रिया है, और कोई भी तारीख या एक निश्चित दिशा देना, केवल अपने खुद के व्यक्तिगत समझ पर आधारित, जानकारी देना है, और कोई भी कानूनी प्रक्रिया पर आधारित नहीं है.
दोस्तो, साथी Speakasians हमें समझने की जरूरत है , कि हम एक सकारात्मक रास्ते पर हैं. हम यह भी जानते हैं कि हमारे बीच दुश्मन है, जो अपने खुद के व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए हमारे बीच कोशिश करेंगे अफवाहें फैलाने की और ताल मेल तोड़ने की , लेकिन क्या हम सभी Speakasians "सशक्त उपभोक्ता"नहीं हैं?, इन धोखेबाजों की भयानक योजनाओं को पहेचानने के लिए, जो खुद को Speakasians तो कहते हैं पर अस्सल में भेड़ की खाल में भेड़िया हैं.
"अकेले हम बहुत कम कर सकते हैं, एक साथ हम बहुत कुछ कर सकते हैं." ... .. Helen Keller.
मैं कहता रहूँगा, अपनी कंपनी पर भरोसा रखिये , धैर्य रखिये , और अपनी कंपनी में विश्वास रखिये .
मोरया भाई मोरया
जय Speakasia
जय Speakasia
जय Speakasia.
गर्व speakasian होने पर .... वास्तव में बहुत गर्व
अशोक बहिरवानी
सचिव
१० जनवरी को, मुझे EOW से नोटिस मिला, १२ जनवरी २०१२ को IO के समक्ष उपस्थित रहने के लिए , SAOL से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के लिए. मैं विस्तार में IO श्री P I शेलके के साथ हुई मेरी बातचीत को दोहरा नहीं सकता ,क्योंकि यह मामला न्यायाधीन है, लेकिन मैं निश्चित रूप से कहना चाहता हूँ, कि यह एक बहुत ही सदभाव पूर्ण बातचीत हुई.
मैं पूरे Speakasian परिवार के जानकारी के लिए निम्नलिखित कुछ बातें ध्यान में लाना चाहता हूँ :
खत्रीपूर्वक यह जानकारी है कि, दिनांक १५ दिसंबर २०११, की अंतरिम रिपोर्ट माननीय लाहोटी जी द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह कहती है कि:
a) कंपनी के कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर EOW मुंबई द्वारा निष्क्रिय (frozen )किये गए हैं और इस प्रकार कंपनी, डेटा (data ) तक पहुँच नहीं पाती, और एक विस्तृत योजना पर काम नहीं कर पाती,जिससे पनेलिस्ट जो बाहर निकलना चाहते हैं, उनका भुगतान हो और पनेलिस्ट जो जुड़े रहना चाहते हैं वो कंपनी के साथ जुड़े रहे.
b) कंपनी के बैंक खाते IT विभाग द्वारा निष्क्रिय (frozen )किये गए हैं, और कंपनी डर रही है भारत में पैसे लाने के लिए, जिस से पनेलिस्ट के बाहर निकलें विकल्प के वैध देय राशि का भुगतान हो, और आशंका है ,कि कहीं ये पैसा भी निष्क्रिय न किया जाए.
c) RBI ने दिनांक २३ मई २०११ को एक परिपत्र जारी किया था , जो हालांकि कंपनी से सीधे उद्देश्य में नहीं था, लेकिन जिसके परिणाम स्वरुप , कंपनी के कारोबार के गतिविधि में एक ठहराव आया.
माननीय मध्यस्थ न्यायमूर्ति श्री लाहोटी जी आगे कहते हैं कि कोई बाध्यकारी दिशा माननीय मध्यस्थ द्वारा नहीं बनायी जा सकती जब तक सभी दल और अन्य संस्थाएं सहमत नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं और उत्तरदाताओं अर्थात् SAOL और HVP ने माननीय मध्यस्थ को जानकारी दी,कि CBDT, EOW (मुंबई) को माननीय न्यायालय की कार्यवाही के लिए पार्टियों के रूप में शामिल करने के लिए निर्देश दिया गया है. इन दलों को भी माननीय मध्यस्थ द्वारा १२ दिसंबर २०११ को मध्यस्थता कार्यवाही में शामिल होने के लिए नोटिस दिया गया था . इसके बाद CBDT (IT विभाग) की ओर से उपस्थिति हुई थी. हालांकि, EOW (मुंबई) की तरफ से कोई उपस्थिति नहीं थी.
१४ दिसंबर २०११ को एक ई-मेल द्वारा, RBI ने कंपनी को लिखा था, कि RBI ने उचित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से पैसा लाने में कंपनी पर कोई प्रतिबंध नहीं रखा था. इसके अलावा RBI ने कानून के अनुसार,.पनेलिस्ट्स के पैसे का भुगतान करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था.
RBI के इस स्पष्टीकरण के साथ,रास्ता साफ़ हो चूका है कंपनी के लिए,पनेलिस्ट्स के पैसे लाने के लिए, और अब केवल माननीय न्यायालयों से अपेक्षित अनुमति पर निर्भर है.
हम सभी को सोमवार यानी १६ जनवरी २०१२ का इंतज़ार है, जब दो महत्वपूर्ण न्यायालय मामले, सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं, अर्थात AISPA WRIT ३६११/२०११ , मुंबई उच्च न्यायालय में और पैनलइस्ट्स WRIT ३८३ /२०११,माननीय सुप्रीम कोर्ट में.
हम सबको समझना चाहिए, कि यह कानूनी प्रक्रिया है, और कोई भी तारीख या एक निश्चित दिशा देना, केवल अपने खुद के व्यक्तिगत समझ पर आधारित, जानकारी देना है, और कोई भी कानूनी प्रक्रिया पर आधारित नहीं है.
दोस्तो, साथी Speakasians हमें समझने की जरूरत है , कि हम एक सकारात्मक रास्ते पर हैं. हम यह भी जानते हैं कि हमारे बीच दुश्मन है, जो अपने खुद के व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए हमारे बीच कोशिश करेंगे अफवाहें फैलाने की और ताल मेल तोड़ने की , लेकिन क्या हम सभी Speakasians "सशक्त उपभोक्ता"नहीं हैं?, इन धोखेबाजों की भयानक योजनाओं को पहेचानने के लिए, जो खुद को Speakasians तो कहते हैं पर अस्सल में भेड़ की खाल में भेड़िया हैं.
"अकेले हम बहुत कम कर सकते हैं, एक साथ हम बहुत कुछ कर सकते हैं." ... .. Helen Keller.
मैं कहता रहूँगा, अपनी कंपनी पर भरोसा रखिये , धैर्य रखिये , और अपनी कंपनी में विश्वास रखिये .
मोरया भाई मोरया
जय Speakasia
जय Speakasia
जय Speakasia.
गर्व speakasian होने पर .... वास्तव में बहुत गर्व
अशोक बहिरवानी
सचिव
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